स्टेरायड वाली क्रीम से बच के
सेहतराग टीम
गोरा दिखना, चेहरे पर चमक लाना, कील मुहांसे खत्म करना सहज इंसानी इच्छाएं हैं। हालांकि इन्हें पूरा करने के लिए हम जो तरीके आज अपना रहे हैं वो फायदा कम नुकसान ज्यादा कर रही हैं। दरअसल हमारी इन्हीं इच्छाओं को जरिया बनाकर लुभावने विज्ञापनों के जरिये कई तरह की क्रीमों को हमारे घर तक पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा बाल कम होने पर हेयर ट्रांसप्लांट जैसी तकनीक भी सड़क किनारे हर दूसरे क्लिनिक में मौजूद है।
जरा संभल के
ये क्रीम और ये तकनीकें वर्तमान समय में बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं बनकर उभरी हैं। इनमें से भी गोरा बनाने का दावा करने वाली क्रीमों की वजह से चिंता की बात ज्यादा होती है क्योंकि दवा की दुकान या फिर ब्यूटी सैलूनों में मौजूद ज्यादातर ऐसे क्रीम में स्टेरायड मौजूद होते हैं। ये वक्त की जरूरत है कि लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाए कि स्टेरायड वाले क्रीम का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से चेहरे क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस स्थिति को स्टेरायड जनित क्षतिग्रस्त चेहरा (टॉपिकल स्टेरायड डैमेज्ड फेस) कहा जाता है।
अन्य समस्याएं
कुछ दूसरी समस्याएं भी हैं। दरअसल इन क्रीमों का ज्यादा इस्तेमाल लोगों को इनकी लत लगा देता है और तब लोग बिना ये क्रीम लगाए रह ही नहीं सकते हैं। क्रीमों का ऐसा दुरुपयोग करने से चेहरे की प्राकृतिक स्थिति में बदलाव आ जाता है और त्वचा धीरे-धीरे अपना मोटापन खोने लगती है। इससे त्वचा पर उम्र का असर अपेक्षाकृत जल्दी दिखने लगता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
दिल्ली की जानी मानी त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दिपाली भारद्वाज कहती हैं कि लोग किसी भी तरह के फंगल इन्फेक्शन के इलाज के लिए अपने मन से कोई भी क्रीम दुकान से लेकर इस्तेमाल करते हैं। इसके कारण फायदा होने के बदले नुकसान ज्यादा हो जाता है क्योंकि लोगों को इन क्रीम के साइड इफेक्ट के बारे में नहीं पता होता। चूंकि ऐसे क्रीम तेजी से असर करते हैं इसलिए लोग अपनी मर्जी से उनका इस्तेमाल करने लगते हैं।
कई लोग तो इन्फेक्शन खत्म होने के बाद भी महीनों या सालों तक इनका इस्तेमाल करते हैं। आम तौर पर ये सोचा जाता है कि चूंकि ये खाने वाली नहीं बल्कि लगाने वाली चीज है इसलिए शरीर पर इनका कोई दुष्प्रभाव नही होगा। जबकि ऐसा होता नहीं है। दूसरी ओर यदि किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह ली जाए तो वो एक निश्चित समय के लिए किसी क्रीम को लगाने की सलाह देते हैं। बिना चिकित्सीय सलाह के उस तय समय के बाद क्रीम का इस्तेमाल नुकसानदेह होता है।
सीधी बिक्री पर रोक लगे
इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि बाजार में बिकने वाली क्रीमों को शेड्यूल एच दवाओं की सूची में शामिल किया जाना चाहिए ताकि बिना डॉक्टर की पर्ची के उनकी खरीद-बिक्री पर रोक लग सके। दूसरी ओर गोरा बनाने का दावा करने वाली क्रीमों के विज्ञापन पर भी एक सीमा तक प्रतिबंध लगाने की जरूरत है।
कब सावधान हो जाएं
यदि किसी क्रीम के लगातार इस्तेमाल के बाद चेहरे पर खुजली, जलन, चुभन या फिर चमकदार लाल त्वचा हो जाए तो समझ लें कि आपकी क्रीम में मौजूद स्टेरायड ने चेहरे को नुकसान पहुंचाया है। ऐसा किसी क्रीम के इस्तेमाल करने के कुछ दिनों के अंदर हो सकता है या फिर लंबे समय तकक उनका इस्तेमाल करने के बाद।
डॉक्टर दिपाली कहती हैं कि किसी भी स्टेरायड आधारित क्रीम का इस्तेमाल सख्ती से डॉक्टर की निगरानी में ही होना चाहिए। किसी भी तरह की परेशानी की स्थिति में तत्काल त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
आलेख का दूसरा भाग यहां पढें
गोरा रंग या गुलाबी सेहत – चुनाव आपका है
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